बहुत खूब! 'थाने की दलाली' आजकल बहुत फलता-फूलता व्यवसाय है।
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हिन्दी को बहुत फलता-फूलता देखना है अभी हमारी ही पीढ़ी को, बल्कि हमसे पिछ्ली पीढ़ी भी देखेगी, मगर ये भी ज़रूरी है कि ख़ुशफ़हमियाँ और मुग़ालते पहचान कर उन्हें दूर करने की कोशिश करें हम हिन्दीभाषी, समय रहते।